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जश्ने-अरूणिमा सक्सैना तीन दिवसीय इंटर नेशनल ऑनलाइन मुशायरा

Jashn-e-Arunima Saxena 3 Day Online International Mushaira

Jashn-e-Arunima Saxena 3 day online International Mushaira

जश्ने-( 168वाँ ) "जश्ने-अरूणिमा सक्सैना" 
तीन दिवसीय इंटर नेशनल ऑनलाइन तरही मुशायरा
शेरो-अदब की मेआरी और आला क़द्रों के तर्जुमान इंटर नेशनल ऑनलाइन साहित्यिक समूह "एवान-ए-ग़ज़ल" का तीन दिवसीय तरही मुशायरा बहुत ही कामयाबी के साथ मुन्अक़िद हुआ ,
ज़ेरे सरपरस्त नाज़िश-ए शेर-ओ अदब इन्टरनेशनल शायर मोहतरम जनाब "ज़की" तारिक साहब बाराबंकवी
मुशायरा अध्यक्ष- मोहतरम अकरम नगीनवी साहब
मुशायरा संचालक- मोहतरमा रचना निर्मल साहिबा
"साहिबे मिसरअ" -मोहतरमा अरूणिमा सक्सेना साहिबा
मिसरअ : "ऐ मेरे यार मुस्कराए जा"
बहुत ही ज़्यादा कामयाब और कामरान इस अज़ीमुश्शान मुशायरे के पसन्दीदा अशआर आप सभी क़ारेईन कराम की भी नज़्र हैं मुलाहिज़ा फ़रमाएं !

दास्ताँ दिल की तू सुनाए जा
गीत लिक्खे जा गुनगुनाए जा
(असद ग़ाज़ीपुरी)
ग़म धुऍं में सभी उड़ाए जा
ऐ मेरे यार मुस्कुराए जा
(फ़ुरक़ान अहमद)
खा के जिसको बने ज़बाँ शीरीं
फल कोई एैसा भी उगाए जा
(अली हैदर ख़ान)

Online International Mushaira

आँधियों से निगाहे फेरे हुए
रेत के घर यूंही बनाए जा
(अनवर सैलानी)
आईने का कोई भरोसा नहीं
इक मुखौटा भी तू लगाए जा
(निज़ामुद्दीन राही)
तैर जाऊँगा यार मैं दरिया
बस मेरा हौसला बढ़ाए जा
( शकील टिकैत नगरी)
मुफ़लिसों को गले लगाए जा
सुन्नते - मुस्तफ़ा निभाए जा
(फूलमियाँ सादिक़ बुकनालवी)
ग़म ज़माने के भूलना है अगर
ऐ मेरे यार मुस्कुराए जा
(शेख़ हफ़ीज़)
ज़ख़्म दिल पर मेरे लगाए जा
ऐ मेरे यार मुस्कुराए जा
(ग़ाज़ी बुकनालवी)
तोड़ लाऊँगा मैं सितारे भी
तू मेरा हौसला बढ़ाए जा
(मलिक नूरेएैन)
हर घड़ी बज़्म तू सजाए जा
गीत न आए तब भी गाए जा
(जावेद जिहाद)
कामयाबी क़दम भी चूमेगी
अपने क़दमों को तू बढ़ाए जा
(फ़ख़रूद्दीन राज़)
जाम होठो से बस पिलाए जा
आग दिल में लगी बुझाए जा
(दिनकर राव दिनकर)
हर घड़ी तू भी मुस्कुराए जा
प्यार को सीने में बसाए जा
(मनी बेन द्विवेदी)
अपनी क़िस्मत को जगमगाए जा
उस के क़दमें पे सर झुकाए जा
(अज़हर कमाल)
ऐ "शरफ़" ये भी के इबादत है
मुफ़लिसों के तू काम आए जा
("शरफ़" बाराबंकवी)
देख कर तू हमारी हालत को
ऐ मेरे यार मुस्कुराए जा
(अहमद अंसारी)
अश्क अपने युंही छुपाए जा
ऐ मेरे यार मुस्कुराए जा
(ताबिश रामपुरी)
गुंबदे ख़िज़रा देख देख के तू
रौशनी आँख की बढ़ाए जा
(निज़ामुद्दीन अता)
रस्मे दुनिया ज़रा निभाए जा
ऐ मेरे यार मुस्कुराए जा
(अश्क बाराबंकवी)
दिल मेरा यूँ ही गुदगुदाए जा
ऐ मेरे यार मुस्कुराए जा
(मौ० शादाब)
ये बुरा वक़्त बीत जाएगा
ऐ मेरे यार मुस्कुराए जा
(मुबीन ज़ामिन)
जो मिला है उसी में ख़ुश रहकर
ऐ मेरे यार मुस्कुराए जा
(महेश बिसोरिया)
गुल मुहब्बत के तू खिलाए जा
ऐ मेरे यार मुस्कुराए जा
( ममता गुप्ता "नाज़" )
दिल से ये नफ़रतें मिटाए जा
ग़ैर को भी गले लगाए जा
(शिवराज कोतवाल)
भूल कर सारे रंजो-ग़म अपने
ऐ मेरे यार मुस्कुराए जा
(राजा बुकनालवी)
कान नफ़रत के फट ही जाएंगे
गीत उल्फ़त के गुनगुनाए जा
(ज़ाहिद बाराबंकवी)
प्यार के गीत भी तू गाए जा
मेरे दिल को भी तू दुखाए जा
(सबा दरभंगवी)
लोग नफ़रत से प्यार करते हैं
तू मुहब्बत के गीत गाए जा
(हाजी सैय्यद इस्मईल)
वक़्त अच्छा बुरा बताए जा
रिश्ता जैसे निभें निभाए जा
(प्यासा अंजुम)
राज़ी रखना है गर ख़ुदा को तुझे
सर को सजदे में तू झुकाए जा
(सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़)
अम्न के गीत गुनगुनाए जा
मुल्क से नफ़रते मिटाए जा
(अब्दुल लतीफ़ ख़ालिद)
क़ल्बे-मुज़तर को आज़माए जा
बाज़ी- ए -इश्क तू लगाए जा
( जावेद "साक़ी" )
सब को अपने गले लगाए जा
प्यार का इक दिया जलाए जा
(एस० कलीम अशरफ़)
ज़िन्दगानी को आज़माए जा
ऐ मेरे यार मुस्कुराए जा
(नफ़ीस अंसारी)
करके हर लम्हा ज़िक्रे सल्ले अला
आखि़रत अपनी तू बनाए जा
(नाज़िश बाराबंकवी)
उन से नज़रें युंही मिलाए जा
दिल में उनके तू घर बनाए जा
(विनीता सिंह विनी)
बे- वफ़ा से वफ़ा निभाए जा
इश्क को अपना दम दिखाए जा
(राजेन्द्र वर्मा)
दर्द अपने सभी छुपाए जा
गीत ख़ुशियों के गुनगुनाए जा
(हरिओम सिंह विमल)
फ़र्ज़ अपने सभी निभाए जा
ज़िन्दगी प्यार से बिताए जा
(राज किशोर पाण्डे)
थोड़ी नेकी सही कमाए जा
ख़ार राहों से तू हटाए जा
(अब्दुल अज़ीम अख़तर)
ज़िन्दगी साथ में बिताए जा
हाल अपना मुझे सुनाए जा
(ए० हसन ख़ान)
ग़म तबस्सुम से यूँ छुपाए जा
ऐ मेरे यार मुस्कुराए जा
(डॉ० आफ़ताब आलम)
फ़स्ल जज़बात की उगाए जा
प्यार का पौदा तू लगाए जा
(नीलम शर्मा)
दूसरों को भी रोटियाँ दे दे
अपना चूल्हा मगर जलाए जा
(कृष्ण गोपाल मिश्रा)
हर किसी को परख न ऐ अकरम
ख़ुद को भी दोस्त आज़माए जा
(अकरम नगीनवी)
ऐक दिन अपने भूल जाऍंगे
उंगलियाँ यूँ ही तू उठाए जा
(निज़ाम फ़िदा)
फिर पलट कर के कौन आता है
जाते जाते तो मुस्कुराए जा
(शाहिद कलीम)
रूख़ से अपने नक़ाब उठाए जा
अपना जलवा ज़रा दिखाए जा
(फ़ैज़ान हुसैन)
अश्क पलकों पे सब सजाए जा
अपनी आँखो को जगमगाए जा
(अख़तर जलील)
है इसी में ही अब समझदारी
फ़ायदा मौक़े का उठाए जा
(रचना निर्मल)
आसमाँ होगा मुट्ठी में इक दिन
तू युंही हौंसला बढ़ाए जा
(ज़की तारिक़ बाराबंकवी)
सर दरे-शाह पर झुकाए जा
अपनी तक़दीर तू बनाए जा
(मधुबाला श्रीवास्तव जोधपुरी)
छेड़ कर तज़किरा शहे-दीं का
बारिशे नूर में नहाए जा
(ज़ाहिद रज़ा बनारसी)
ग़मज़दा कौन इस जहाँ में नहीं
इस क़दर ख़ुद को मत रूलाए जा
(जितेन्द्र पाल सिंह)

इसके अलावा मुतअद्दिद शोअरा और शायरात ने भी अपने अपने ख़ूबसूरत तरही कलाम पेश किए और भरपूर दाद-ओ तहसीन हासिल की !
ज़की तारिक़ बाराबंकवी

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