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तिरछी नज़र ख़ून ए जिगर रश्क ए क़मर शायरी Muhabbat Ki Nazar Shayari Hindi

New Year Romantic Shayari

New Year Romantic Shayari नये साल की मुहब्बत शायरी प्यार में डूबी हुई ग़ज़ल

नये साल की मुहब्बत शायरी

प्यार में डूबी हुई ग़ज़ल

हर शय से यूँ तो बच गए अपने हुनर से हम।
पर बच न पाए आप की तिरछी नज़र से हम।

होश-ओ-ख़िरद भुला दिए जब उन के इश्क़ ने।
कैसे नज़र मिलाएँ किसी दीदा वर से हम।

अमन ओ अमाँ सुकूँ का सबब सिर्फ़ प्यार है।
यूँ ही तो प्यार करते है हर इक बशर से हम।

कब दाम माँगते हैं किसी से दवात के।
अशआ़र अपने लिखते हैं ख़ून ए जिगर से हम।

अब तक न आए होश में ऐसा ग़ज़ब हुआ।
इक बार क्या मिले किसी रश्क ए क़मर से हम।

आँखों में अश्क दिल में ख़लिश और आहें सर्द।
बस यह ही ले के आए हैं उनके नगर से हम।

तुम ने ही जब न पूछा सनम ह़ाले ज़ार तो।
क्या अ़र्ज़े ह़ाल करते किसी नामा बर से हम।

फोटो जहाँ है उन की वहाँ अपने शेर हैं।
पीछे कहाँ हैं बोलो किसी ताजवर से हम।

आख़िर फ़राज़ क्यों न ली उसने कभी ख़बर।
चल आज यह तो पूछ लें उस बेख़बर से हम।

सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
मुरादाबाद उत्तर प्रदेश

डस रहीं थीं हमें शब की तन्हाईयाँ।
ख़्वाब बन कर वो आए मज़ा आ गया।

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