Ticker

6/recent/ticker-posts

बे-क़रारी तुझे ऐ दिल कभी | बहादुर शाह जफर की शायरी| Bahadur Shah Zafar

बहादुर शाह जफर की शायरी

बे-क़रारी तुझे ऐ दिल कभी | बहादुर शाह जफर की शायरी| Bahadur Shah Zafar

Bahadur Shah Zafar Shayari In Hindi

बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी
जैसी अब है तेरी महफ़िल कभी ऐसी तो न थी

ले गया छीन के कौन आज तेरा सब्र ओ क़रार
बे-क़रारी तुझे ऐ दिल कभी ऐसी तो न थी

Bahadur shah zafar shayari

उस की आँखों ने ख़ुदा जाने किया क्या जादू
कि तबीअत मेरी माइल कभी ऐसी तो न थी

अक्स-ए-रुख़्सार ने किस के है तुझे चमकाया
ताब तुझ में मह-ए-कामिल कभी ऐसी तो न थी

अब की जो राह-ए-मोहब्बत में उठाई तकलीफ़
सख़्त होती हमें मंज़िल कभी ऐसी तो न थी

पा-ए-कूबाँ कोई ज़िंदाँ में नया है मजनूँ
आती आवाज़-ए-सलासिल कभी ऐसी तो न थी

निगह-ए-यार को अब क्यूँ है तग़ाफ़ुल ऐ दिल
वो तेरे हाल से ग़ाफ़िल कभी ऐसी तो न थी

चश्म-ए-क़ातिल मेरी दुश्मन थी हमेशा लेकिन
जैसी अब हो गई क़ातिल कभी ऐसी तो न थी

क्या सबब तू जो बिगड़ता है 'ज़फ़र' से हर बार
ख़ू तेरी हूर-शमाइल कभी ऐसी तो न थी
बहादुर शाह ज़फ़र
बहादुर शाह ज़फ़र के दीवान से

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ