विश्व नेत्र दान दिवस
(10 जून हर साल)
(कविता)
“इस नेक कार्य का होना चाहिए अच्छे से प्रचार प्रसार,
इस महादान के लिए सकारात्मक हों लोगों के विचार।”
नेत्र दान जीवन दान
नेत्र दान जीवन दान से कम नहीं होता है कभी,
यह कार्य होता है जग में, सबसे अधिक महान।
उस इंसान के नेत्र अंध जीवन में उजाला लाते हैं,
जब किसी घटना दुर्घटना में चली जाती है जान।
नेत्र दान जीवन दान से............
इसके लिए जीवन काल में ही करनी होती कारवाई,
तभी हो सकती है किसी नेत्रहीन व्यक्ति की भलाई।
दाता दुनिया से जाने के बाद भी सब देख सकता है,
प्राप्तकर्ता चाहकर भी नहीं चुका सकता है एहसान।
नेत्र दान जीवन दान से..............
इसके लिए कायदे कानून बनाती रहती है सरकार,
विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका होती असरदार।
जिंदगी वही सार्थक, जो मौत का बाद भी काम दे,
इसके लिए चलती रहती है जागरूकता अभियान।
नेत्र दान जीवन दान से.............
इस दिवस का उद्देश्य, लोगों को प्रेरित करना है,
मन से इससे जुड़ अंधविश्वासों को, दूर करना है।
कौन दाता बन सकता, इस बात को समझाना है,
मृत्यु के बाद घरवालों को रखना पड़ता है ध्यान।
नेत्र दिवस जीवन दान से.............
इस महादान वास्ते, आयु का नहीं है कोई बंधन,
एच आई वी एड्स या कैंसर रोगी पर है उलझन।
अस्पताल नेत्र बैंक से प्रशिक्षित कर्मचारी आते हैं,
उनके पास होता है नेत्र निकलने का हर सामान।
नेत्र दान जीवन दान से.............
मृत्यु बाद सुंदर सी आंखे चिता में जल जाती हैं,
अथवा कब्र में लाश के साथ, दफ़न हो जाती हैं।
इन बुझते चिरागों से फिर रोशनी मिल सकती है,
दृष्टि खो चुके लोगों का, हो सकता है कल्याण।
नेत्र दान जीवन दान से...............
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
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