भाई बहिन : भाई-बहन का रिश्ता कविता
भाई बहिन
(काव्य तरंग)
कच्चे धागे में बंधा है, भाई बहिन का नाता,
साफ दिखता है सबको भैया दूज जब आता।
आगे आगे चले भैया राजा, पीछे बहना रानी,
आशीर्वाद देते, और प्रसन्न होते हैं विधाता।
कच्चे धागे में बंधा…………..
बाबुल के घर से जब होती बेटी की बिदाई,
बिलख बिलख कर रोता है बहना का भाई।
हर बहना को इंतजार रहता, रक्षाबंधन का,
बहना जैसे ही भैया राजा भी आंसू बहाता।
कच्चे धागे में बंधा…………..
चार कंधों पर जब उठती बहना की डोली,
भाई के मुंह से निकलती नहीं कोई बोली।
हर बहिन भैया का घर में बाट जोहती है,
बड़ा हर्ष होता है, जब भाई मिलने आता।
कच्चे धागे में बंधा………….
जब किसी भाई की बहना बनती दुल्हन,
धन्य धन्य हो जाता है भाई का जीवन।
भैया दूज इस में चार चांद लगा देता है,
जो देखता है, वह देखता ही है रह जाता।
कच्चे धागे में बंधा…………
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
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