Ticker

6/recent/ticker-posts

रेडियो लालटेन : हिन्दी कविता - Radio Lalten Hindi Kavita

रेडियो लालटेन : हिन्दी कविता


चित्रलेखन : 207
विषय : रेडियो लालटेन
दिनांक : 5 दिसंबर, 2024
दिवा : गुरुवार

रेडियो लालटेन
रेडियो लालटेन का गया जमाना,
बिजली ने ही इसे उखाड़ दिया।
मिट्टी तेल हुआ बहुत ही महंगा,
रेडियो लालटेन ये कबाड़ हुआ।।
रेडियो हुआ अब बहुत यह दूर,
टेलीविजन स्वयं बन बैठा है सूर।
आया यह बिजली का जमाना,
एल ई डी का यह सेवा भरपूर।।
बिजली कभी कटती ही नहीं है,
बिजली हर वक्त पे ही रहती है।
चल रही है आज विद्युत महिमा,
विद्युत संचार सदा ही बहती है।।
रात में भी यह दिन बना रहता,
विद्युत का ही अब यह ठीका है।
लालटेन रेडियो कबाड़ में बिका,
रेडियो लालटेन अब फीका है।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ