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भक्ति गीत : राखी बांधने आ रही माता रानी

भक्ति गीत : राखी बांधने आ रही माता रानी


“आप सभी भाइयों और बहनों को हमारी ओर से भाई एवं बहन के पारंपरिक पावन पर्व “रक्षाबंधन” पर ढेर सारी अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं एवं अशेष बधाईयां। जगत जननी माता रानी की कृपा सभी पर बनी रहे।”

रूप धारण कर, एक भोली प्यारी बहना का,
घर घर राखी बांधने, आ रही है माता रानी।
कोई भी भाई इंकार नहीं करना, बंधवाने से,
सच्चा प्यार जानने के लिए घूमेगी भवानी।
रूप धारण कर एक………..

माता रानी ने जब देखा कलियुग का हाल,
उनके मन में आया यह एक सुंदर ख्याल।
आसान नहीं, माता रानी को समझ पाना,
अजीब उनकी लीला, गजब उनकी कहानी।
रूप धारण कर एक………….

जितने घर जाएगी, बदल लेगी अपना रूप,
कभी छांव सी दिखेगी कभी लगेगी वो धूप।
उनकी थाली सजी होगी, राखी संग मिठाई,
देखकर हर भाई के मुंह से, टपकेगा पानी।
रूप धारण कर एक………..

माता जब लगाएगी किसी के माथे पे चंदन,
धन्य धन्य कर देगी, उस भाई का जीवन।
कुछ भी नहीं छुपा है, इस जगत जननी से,
जन्मों तक अमिट रहेगी, उनकी ये निशानी।
रूप धारण कर एक………….

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर मधुबनी बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

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