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साहित्य काव्य सौभाग्य हमारा : हिंदी कविता

साहित्य काव्य सौभाग्य हमारा : हिंदी कविता

सौभाग्य हमारा
साहित्य काव्य सौभाग्य हमारा,
कर्म धर्म नित्य ही सीखता हूँ।
कुछ तो सीखता दुनिया से ही,
निज अनुभव फिर लिखता हूँ।।
हुए साहित्य काव्य के कायल,
दुनियादारी को भूल जाता हूँ।
साहित्य साधना औ आराधना,
प्रेमत्व के झूले पे झूल जाता हूँ।।
सोते जगते कुछ करने से पहले,
सारे ईश को ही मैं तो ध्याता हूँ।
बीच के समय सुबह शाम केवल,
साहित्य में व्यस्त हो जाता हूँ।।
साहित्य साधना और आराधना,
साहित्य काव्य में खो जाता हूँ।
कुछ तो खाता आपका ये बोया,
कुछ अपना बीज बो जाता हूँ।।
काव्य साहित्य में बंधुत्व दिखता,
सारे रिश्ते ही पावन दिखते हैं।
काश ! सारे विश्व ये पावन होते,
शुभकामना यही हम लिखते हैं।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।

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