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हे लाल सखे हे बाल सखे : हिंदी कविता | He Lal Sakhe He Bal Sakhe Hindi Kavita

हे लाल सखे हे बाल सखे : हिंदी कविता | He Lal Sakhe He Bal Sakhe Hindi Kavita

हे लाल सखे हे बाल सखे,
ईश रूप मेरे विशाल सखे।
जालिम जितना हो जाली,
जालों के तुम्हीं जाल सखे।।
धन्य पाकर तुझे नंद बाबा,
यशोदा माँ भावों में विभोर।
एक नटखट के दस गिलवे,
नटवर खोज में मचता शोर।।
जिसने भी पाया है तुझको,
हुआ है वह मालामाल सखे।
जो भी चला है विरोध में तेरे,
गल न सकी कोई दाल सखे।।
चोरों के भी थे चोर कन्हैया,
चोरों में पारंगत माखनचोर।
गोप गोपी के चित्त चुरानेवाले,
माहिर चोर बने थे चित्तचोर।।
मुरली बजाकर लुभाने वाले,
वसुदेव देवकी लाल सखे।
दुनिया का पालन करनेवाले,
नंद यशोदा रखीं पाल सखे।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।

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