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सड़क चली : सड़क पर कविता Sadak Par Kavita | Poem On Road in Hindi

सड़क चली : सड़क पर कविता Sadak Par Kavita | Poem On Road in Hindi


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Sadak Par Kavita | Poem On Road in Hindi


सड़क चली, सड़क चली
तीर के बाढ़ सी,
मनीषी के ज्ञान सी,
बालिका की बाढ़ सी
ममत्व की गूंज सी,
सड़क चली, सड़क चली

लेटती, इठलाती
गरजती, खड़खड़ाती,
लहराती, बलखाती,
कुछ इधर, कुछ उधर,
डगर चली, डगर चली,

पथिकों के पदों से,
वाहनों के भार से,
चिलचिलाती धूप में
श्रांत, मलिन, क्षुब्ध सी
सड़क चली, सड़क चली,

बीत गई मिलन घड़ी,
मंजिल भी दूर अभी,
जीवन संदेश सुनाने को
पग-पग बढ़ते जाने को,
डगर चली, डगर चली।
_____डा०सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार

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