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मां वो है जो हृदय में शीतलता उढ़ेलती है : विश्व मातृ दिवस पर कविता

Poem On World Mother's Day In Hindi

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विश्व मातृ - दिवस की सभी माताओं को शत शत नमन

मातृ - दिवस

मां वो है जो हृदय में शीतलता उढ़ेलती है,
मेरे हर आंसू अपने आंखों में भरती है।
मेरे मौन में भी मेरे दर्द की चीखें सुनती है,
मेरी हर आहट की गूंज दूर से सुन लेती है।।

मां वो है जो मेरे रोष का हर वार सहती है,
मुस्कुराकर मेरे क्रोध की वजह निवारण ढूंढती है।
रातों को मेरे सिरहाने घंटों बैठती जागती है,
मेरे सुख की खातिर खुद को मशीन बनाती है।।

मां वो है जो जीवन के हर झंझावात चुपके झेलती है,
दिन थकान भरी बिताकर भी उर्जित रहती है।
मेरी हर मांग फरमाइश खुशी खुशी पूरा करती है।
भनक अपने तकलीफों की न कभी लगने देती है।।

मां वो है जो उम्रभर सिर्फ निस्वार्थ प्रेम करती है,
अपने हर सुख को बेचकर हमारी मुस्कान खरीदती है।
सारी दुनिया भूलकर परिवार के लिए जीती मरती है
अपने अंतिम सांस तक उनकी सलामती की दुआ करती है।

मां वो है जिसमें सारी कायनात सिमट जाती है
 कलेवर में सांसे, स्पंदन और गति उतर आती है।
अमूल्य है वो,उसकी ममता, वात्सल्य स्नेह दुलार
जिसकी गोद पाने को भगवान भी लेते हैं हर बार अवतार।
गीता कुमारी
शिक्षिका डीएवी बोकारो

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