सुन्दर नार : सुन्दर नारी पर कविता Poem On Beautiful Woman In Hindi
सुन्दर नार : शृंगार रस की कविता
सुन्दर नार
बैठी है श्रृंगार कर, सुन्दर जो वह नार।
घटा सरीखे केश है, होता उससे प्यार।।
लाल रंग यह सिंदुरी, चमके उसकी मांग।
लाल भाल टीका लगे, नशा चढ़े ज्यूं भांग।।
सुन्दर चितवन नार ये, बोले आँखे देख।
ताक बिराने में रही, पढ़ती माथे रेख।।
इन्तजार तब वह करे, प्रीत मिलन की आस।
मैं तो प्रियतम बावरी, करती हूँ विश्वास।।
होंठ गुलाबी भा गये, प्यारी है मुस्कान।
तेरी सूरत देखता, रहता मेरी जान।।
पिया मिलन की आस में, कर बैठी श्रृंगार।
आय गए हैं साँवरे,करते तुमसे प्यार।।
पुष्पा निर्मल
Pushpa Nirmal
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