नात-ए-जदीद-व-मुन्फ़रिद Naat e Jadeed o Munfarid
नये युग की नात शरीफ
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कब तक आँसू बहाऊँगा ?!, मैं!, ऐ/या नबी!, मुझ को तो, मुस्कुराए, बहुत दिन हुए!!
आप, फिर, मुझ को, बुलाइए, आक़ा/ उम्मी/ज़िन्द/ज़ैद!, मुझ को, मदीना बुलाए, बहुत दिन हुए!!
" मुस्त़फ़ा!", जलवा अपना, दिखाना, हमें!, तुम को, जलवा दिखाए, बहुत दिन हुए!!
ऐ / या नबी!, "साग़र-ए-दीद " हम को पिए, और, तुम को, पिलाए, बहुत दिन हुए!!
आप की रहमतों के, कहाँ, अब्र, छाए, नहीं!?, ऐ/या मुहम्मद!, रसूल-ए-ख़ुदा!!
मेरे आक़ा!, मगर, आप की रहमतों की घटाओं को छाए, बहुत दिन हुए!!
ऐ / या मुहम्मद!, चला हूँ मैं, बस, तेरे नक़्श-ए-क़दम पर!, मैं हूँ, आशिक़-ए-राहबर/मुस्त़फ़ा!!
ऐ/या नबी!, दिल मेरा घर है, अल्लाह का, इस को " काबा " बनाए, बहुत दिन हुए!!
क्यों? नहीं, छेड़ता" नग़मा-ए-हक़/ नग़मा-ए-दिल, कोई!, झूमती क्यों? नहीं, ज़िन्दगी!, "सेठ जी "!
कहिए " नातें " सुनायें, हमें, " राम-शायर/साहब" को " नातें " सुनाए, बहुत दिन हुए!!
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नोट:- इस त़वील नातिया कलाम के दीगर शेर-व-सुखन आइंदा फिर कभी पेशकिए जायेंगे, इन्शा-अल्लाह!
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रामदास प्रेमी इन्सान प्रेमनगरी, डॉक्टर जावेद अशरफ़ कैस फैज अकबराबादी बिल्डिंग्, ख़दीजा नरसिंग, राँची हिल साईड, इमामबाड़ा रोड, राँची, झारखण्ड, इन्डिया!
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