आतंकवाद पर शायरी | Aatankwad Par Shayari
आतंकवाद विरोधी शायरी : Anti Terrorism Shayari in Hindi
आतंकवाद छोड़ो
जिंदगी से नाता जोड़ो
खुद भी खुश रहो
और दुनिया को खुश रहने दो
आतंकवादी विरोधी दिवस पर एक कविता
आतंकवादी भाइयो - एक खुली चिट्ठी
ऐ मेरे आतंकवादी भाइयों, आओ,
थोड़ा बतियाओ
क्यों करते हो खून-खराबा, जरा हमको भी समझाओ
शहीद जवानों की रगों में क्या तेरा खून नहीं था ?
परखच्चों में उड़े चिथड़े वह भी तो तेरा भाई था
क्यों घर से बेघर होते हो, छुप- छुप कर जीओ मत
गिल -हिकमत मत रखो, समझो !
सर्वसम्मत है जनमत
बलात्कार की बातें क्यों जाती हैं सिर पर तेरे भैया
बहन-बेटियांँ सबकी हैं, इज्ज़त-
अस्मत की बनो रखैया
ऐसी भी क्या जिन्दगी दौड़ो, मारो, काटो है जीवन
भूले-भटके मेरे भाई, समरस हो सबका सहजीवन
बेखटके रहो हमेशा, छोड़ो अब तुम भूलभुलैया
नाककटैया क्यों बनते हो ?
सामाजिकता की बनो खेवैया
पस्तहिम्मत मत हो, न माथे पर कोई तोहमत
हुकूमत सबकी रहे यहाँ प्रजातंत्र का है मूलमत
माई रोए, बाबा तड़पे, उजड़े भाई -बहन की दुनिया
आओ, वापस अपने घर को, नवजीवन होए गुड़-धनिया
'मीनू' मीना सिन्हा
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