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रमज़ान, मुसल्मान, हिन्दुस्तान, हनुमान नवीन जदीद, विचित्र, मुन्फ़रिद, कविता ग़ज़लिया नज़्म

Ramzan Musalman Hindustan Hanuman Jadeed Ghazal Kavita Najam

रमज़ान, मुसल्मान, हिन्दुस्तान, हनुमान
Disclaimer
नोट :- ये विचित्र कविता, रमज़ान और हनुमान-दिवस के एक साथ आयोजित होने पर, भाईचारा और प्रेम के लिए लिखी गई!
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नवीन/ जदीद, विचित्र, मुन्फ़रिद, कविता/ ग़ज़लिया नज़्म
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अब भी साअत-ए-रमज़ान है!
शाद-काम, मुसलमान है!!
उस की धरती है ये अर्ज़-ए-हिन्द!
ख़ुश, यहाँ ही मुसलमान है!!
उस का देश है भारत!, यहाँ
ख़ुश बहुत ही, मुसल्मान है!!
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राम-भक्त, हनुमान है!
इक वही बड़ा बलवान है!
राम-चन्द्र का दीवान है!
शक्ति वाला हनुमान है!
ईश्वर का निगहबान है!
वो सभी पे मेहरबान है!
राम भी हैं उसी पर फ़िदा!
वो, हरि का निगहबान है!
देवता सभी, उस से हैं ख़ुश!
राम!, ख़ुद ही वो भगवान है!
है वो, इश्क-व-वफ़ा का कमल!
है उसी से, " जहान-ए-ग़ज़ल "!
अहल-ए-हुस्न/ अहल-ए-शेर, हनुमान है!
" राम दास का दीवान " है!!
मैं, उसी से मुहब्बत करूँ!!
दोस्तो!, वो मेरी जान है!!
अहल-ए-इश्क है अहल-ए-वफ़ा!
वो ख़ुलूस का है इक ख़ुदा!!
ताबनाक है कौनो-मकाँ!!
है उसी से सुख़न का जहाँ!!
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तुम अज़ानें दो, मस्जिदों में, या कि फिर,
दोस्तो!, हमुमान-चालीसा पढो!
तुम पढो, तरावीह की सारी नमाज़!
तुम, " पवित्र कुरआन" का सूरा पढो!
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Ramzan-Musalman-Hindustan-Hanuman-jadeed-ghazal-Kavita-Najam

नोट :- ये विचित्र कविता, रमज़ान और हनुमान-दिवस के एक साथ आयोजित होने पर, भाईचारा और प्रेम के लिए लिखी गई !
कवि :- रामदास प्रेमी इन्सान प्रेमनगरी,
डाक्टर जावेद अशरफ़ कैस फैज अकबराबादी मंजिल, राँची हिल साईड, इमामबाड़ा रोड, ख़दीजा नरसिंग, जावेद अली शापिंग, पहाड़ी टोला, राँची, झारखण्ड, इन्डिया!

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