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हिंदी कविता : साहित्य के इस घमासान में - हिंदी उर्दू साहित्य संसार

हिंदी कविता : साहित्य के इस घमासान में - हिंदी उर्दू साहित्य संसार

साहित्य के इस घमासान में
साहित्य ढूँढ़ते हुए
हमने कहा
प्रतिरोध ही साहित्य है
सवाल उठ खड़ा हुआ
देखते देखते ही
बहुत बड़ा हुआ ।
हमने फिर कहा
अराजक मनुष्य
अराजक समाज
अराजक राष्ट्र को
बेहतर बनाना
साहित्य का धर्म है
सबसे बड़ा कर्म है।
बाकी सब
साहित्यिक अधर्म है।
मजबूरी है
उससे साहित्य की
बहुत बड़ी दूरी है।
चारों तरफ मंगल हो
बस इतना ही जरूरी है।
साहित्य के बगैर
यह दुनिया
अधूरी है ।।
साहित्य जीवन की धूरी है
पूरी है ।।
बाकी सब
जीती जागती मजबूरी है।।

अन्वेषी 19 4 22

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