मेंहदी से हथेली वो सजाने में लगे हैं।
लिख - लिख के मिरा नाम मिटाने में लगे हैं।
थोड़ी सी मेहंदी लगा दो
थोड़ी सी मेहंदी लगा दो,
हाथों को फूलों से सजा दो।
मिट ना जाए स्नेहिल निशानी,
नफ़रत की वो आंधी उड़ा दो।
हाथों को फूलों से सजा दो।
मिट ना जाए स्नेहिल निशानी,
नफ़रत की वो आंधी उड़ा दो।
मेहँदी शायरी | Mehndi Shayar | किसी और के नाम की मेहंदी हाथों में | मेहंदी गैर के नाम की
मेहंदी ग़ैर के नाम की
ढूंढता था मैं जिंदगी, जिन हाथों की लकीरों में
आज मेहंदी रची है उन पर ग़ैर के नाम की,
पहनाने थे मैंने कंगन..जिन ह़सीन कलाइयों में
आज ख़नकती हैं चूड़ियां..ग़ैर के नाम की.!
हाथों में लेकर हाथ..किया था एक वादा..
कायनात में कभी तुम्हारा हाथ ना छोड़ूंगी,
हाथों में थाम के चेहरा..किया था इरादा..
क़यामत में भी कभी..साथ ना छोड़ूंगी.!
वो वादे, वो इरादे क्या थे..सिर्फ दिखावा??
वो हौंसले वो रस्मों..क्या थीं, बस नाम की.?
आज छोड़ दी मेरी..मोहब्बत की जागीर..
हाथों में रचा ली मेहंदी मेरे, रकीब़ के नाम की.!
आरज़ू नहीं थी मुझे..दुनिया की दौलत की..
दिलमें जोड़ी थी दौलत, मैंने तेरे प्यार की,
एतबार था तुझ पे..चाह थी तेरे आने की..
राहों में जलाई थी शमां, मैंने तेरे इंतजार की.!
हवा के झोंके ने बुझाई..शमां अरमानों की..
टूट गईं वो हसरतें..तुझे पाने की आस थी,
थम चुकीं हैं मौजें..अब इश्क़ के सागर की..
बिखर गई वो मंजिलें,जिनमें तेरी तलाश थी.!
सूख चुके हैं अश्क..अब उन आंखों के..
जिनमें ख्वाहिशें थीं,बस तेरे नाम की,
बेरंग कर के मेरे..रंगीन जीवन को तू ने..
रंगली हथेली.. उस ग़ैर के नाम की.!
पूछ लूंगा मैं ख़ुदा से..क्या ख़ता थी मेरी..
मैंने तो लिख दी थी, हर धड़कन उसके नाम की,
जल गया परवाना बन..मैं उसकी चाह में..
क्या यूं होनी थी दिल्लगी, मेरे सच्चे ईमान की.?
गुज़ारिश है तुझसे रब्बा..ऐसी दिल्लगी ना करना
मेरे जैसी तक़दीर..किसी और को ना देना,
पी चुका हूं बेवफ़ाई का..कड़वा ज़हर मैं..
ऐसा बेरहम इम्तिहान तू औरों का ना लेना.!
मैं खुश हूं..! बहुत खुश हूं मैं...
तूने रंगली हथेली हिना से, ग़ैर के नामकी..
ग़मों को छुपा..मुस्कुरा रहा हूं मैं...
खुशियां मना रहा हूं मैं अपने प्यार के नीलाम की.!
हरजीत सिंह मेहरा
लुधियाना पंजाब
Mehndi Shayari Hindi - Mehndi Shayari Love - मेहंदी शायरी
ग़ज़ल
मेंहदी से हथेली वो सजाने में लगे हैं।
लिख - लिख के मिरा नाम मिटाने में लगे हैं।
इल्ज़ाम हर इक मुझपे लगाने में लगे हैं।
कुछ लोग मिरे ग़म को बढ़ाने में लगे हैं।
किस वक़्त वो आ जाएँ ख़यालों में हमारे।
हम बज़्मे तख़य्युल को सजाने में लगे हैं।
पत्थर भी जो होता तो पिघल जाता वो अब तक।
हम कब से सनम तुमको मनाने में लगे हैं।
इतने में तो परदेस से आ जाते हैं इन्साँ।
दिन जितने तिरे फ़ोन के आने में लगे हैं।
वो तिफ़्ल क्या लिख पाएँगे तारीख़ वतन की।
जो छोड़ के ताअ़लीम कमाने में लगे हैं।
रोशन भला कब तक नहीं होगा यह नशेमन।
हम दिल को फ़राज़ अपने जलाने में लगे हैं।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ मुरादाबाद उत्तर प्रदेश
मेहंदी शायरी हिंदी | Mehndi Shayari Hindi
थोड़ी सी मेहंदी लगा दो
थोड़ी सी मेहंदी लगा दो,
थोड़ी सी मेहंदी लगा दो,
हाथों को फूलों से सजा दो।
मिट ना जाए स्नेहिल निशानी,
नफ़रत की वो आंधी उड़ा दो।
यह जीवन है छोटा बहुत सा,
मौजों के रंगों को चढ़ा दो।
वीरानों में झट से बिखरती,
तूफानों से किस्ती बचा दो।
दो पल की ये जो जिंदगी है,
शिकवों को आत्मा से हटा दो।
लज्जा को पल्लू से भगाओ,
तुम शर्मों का पर्दा गिरा दो।
मनसीरत मन से मांगता है,
जल्दी मुझको सीने लगा लो।
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
Mehndi Shayari In Hindi With Images
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मेहंदी शायरी हिंदी में लिखी हुई | Mehandi Shayari Lyrics Hindi
मेहंदी की रात आई
खुशियाँ हज़ार लाई
झुमो नाचो गाओ रे
दुल्हन सजाओ रे
मेहंदी की रात आई
देखो बारात आई
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