भारत सोने की चिड़िया कैसे बना? जानिए इस कविता के माध्यम से
सोने की चिड़िया भारतवर्ष
जब सुनता हूँ सोने की चिड़िया भारतवर्ष,
नस नस को होता है, अपार असीम हर्ष।
तन मन में नई ऊर्जा का होता है संचार,
मुट्ठी में सिमटा दिखता है सारा संसार।
दुनिया प्रणाम करती और सर झुकाती है,
ज्ञान विज्ञान में देख, भारत का उत्कर्ष।
जब सुनता हूँ सोने की…
जब सुनता हूँ सोने की चिड़िया भारतवर्ष,
नस नस को होता है, अपार असीम हर्ष।
तन मन में नई ऊर्जा का होता है संचार,
मुट्ठी में सिमटा दिखता है सारा संसार।
दुनिया प्रणाम करती और सर झुकाती है,
ज्ञान विज्ञान में देख, भारत का उत्कर्ष।
जब सुनता हूँ सोने की…
भारत को सोने की चिड़िया कब कहा गया?
प्राचीन काल में भी बजा करता था डंका,
सोने की चिड़िया होने में, न कोई शंका।
सारे जग में जब, पसरा हुआ था अंधेरा,
भारत ने ही फैलाया था ज्ञान का सबेरा।
अपनी सुंदर सभ्यता संस्कृति का गर्व है,
दुनिया ने स्वीकारी है हमारी जीत सहर्ष।
जब सुनता हूँ सोने की…
सोने की चिड़िया होने में, न कोई शंका।
सारे जग में जब, पसरा हुआ था अंधेरा,
भारत ने ही फैलाया था ज्ञान का सबेरा।
अपनी सुंदर सभ्यता संस्कृति का गर्व है,
दुनिया ने स्वीकारी है हमारी जीत सहर्ष।
जब सुनता हूँ सोने की…
भारत सोने की चिड़िया कविता
धन धान्य की कोई कमी नहीं थी यहाँ,
भारत में विदेशी, ढूंढ रहे थे जहाँ तहां।
तब अपना भारत था, बहुत ही धनवान,
और बांट रहा था सारी दुनिया में ज्ञान।
बड़ा अभिमान होता है, देशवासियों को,
हाथ जब करता है, इतिहास को स्पर्श।
जब सुनता हूँ सोने की…
भारत में विदेशी, ढूंढ रहे थे जहाँ तहां।
तब अपना भारत था, बहुत ही धनवान,
और बांट रहा था सारी दुनिया में ज्ञान।
बड़ा अभिमान होता है, देशवासियों को,
हाथ जब करता है, इतिहास को स्पर्श।
जब सुनता हूँ सोने की…
हमने पूरे विश्व को दिया कोरोना टीका,
महामारी का इलाज सबने हमसे सीखा।
आज भी भारत सोने की चिड़िया ही है,
कभी नहीं पड़ सकता इसका रंग फीका।
यहाँ प्राकृतिक संसाधनों की कमी नहीं है,
जग को समझाएंगे, कुछ आनेवाले वर्ष।
जब सुनता हूँ सोने की…
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार
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