खूब लड़ी मर्दानी झांसी वाली रानी थी कविता
Jhansi Ki Rani Hindi Poem
कविता
"झांसी की रानी"
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।
बड़े-बुढ़ों से हमने सुनी यह कहानी थी।
खेल कूद के दिनों में उसने लिखी अमर कहानी थी।
नाना के संग खेली नाना से सीख उसने पाई थी।
झांसी की रानी शायरी
खूब लड़ी मर्दानी वोतो झांसी वाली रानी थी।
बड़े-बुढ़ों से हमने सुनी कहानी थी।
अंगरेजों के छक्के छुड़ाये उसकी बात सबने मानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वोतो झांसी वाली रानी थी।
बड़े-बुढ़ों से हमने सुनी यह कहानी थी।
पुष्पा निर्मल
"झांसी की रानी"
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।
बड़े-बुढ़ों से हमने सुनी यह कहानी थी।
खेल कूद के दिनों में उसने लिखी अमर कहानी थी।
नाना के संग खेली नाना से सीख उसने पाई थी।
झांसी की रानी शायरी
खूब लड़ी मर्दानी वोतो झांसी वाली रानी थी।
बड़े-बुढ़ों से हमने सुनी कहानी थी।
अंगरेजों के छक्के छुड़ाये उसकी बात सबने मानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वोतो झांसी वाली रानी थी।
बड़े-बुढ़ों से हमने सुनी यह कहानी थी।
पुष्पा निर्मल
लघुकथा होली आई
होली आई
सब लोगों ने खूब जमकर खेली थी होली। पर एक छोटा-सा बच्चा जिसका नाम सोनू है। ये सब देख रहा था, उसकी समझ में कुछ नहीं आया ये सब क्या कर रहें हैं। अपने दरवाजे से सब देख रहा था,वो सोचने लगा माँ मना करती है पानी बर्बाद मत करो और ये लोग किस तरह पानी बर्बाद करते हैं।
वह दौड़ कर अन्दर गया और अपनी माँ से बोला माँ देखो सब लोग कितना पानी बर्बाद कर रहें हैं?
माँ बोली बेटा ये लोग होली खेल रहें हैं।
माँ तो इनको रोको पानी बर्बाद ना करें एक एक बूंद कीमती है।
आज कल लोग समझते क्यों नहीं की इतना पानी बर्बाद नहीं करना चाहिए।
माँ बोली बेटा ये लोग नहीं सुनेंगे सोनू बोला मांँ इन्हें कहो ये सूखी होली खेलें जिससे पानी की बचत होगी सूखी होली कैसे खेलेंगे सोनू बोला सिर्फ गुलाल से सूखी होली भी तो होती है।
गुलाल भी तो रंग है ना माँ बेटा तूं इतना समझदार कैसे होगया सोनू बोला मां स्कूल में मास्टर जी बोले एक समय ऐसा आयेगा की पीने को पानी नहीं बचेगा।माँ हम सब मिल कर ये संकल्प लें तो पानी बचाया जा सकता है।
माँ और क्या सिखाया है मास्टरजी ने सोनू बोला पेड़ लगाओगे तो बर्षा होगी। तब सब हरा भरा होजायेगा और पानी की भी कमी नहीं रहेगी। और कहा बर्षा का पानी स्टोर करो,बोले जमीन में गहरा गड्ढा करके कुंए की तरह गड्डा करना होगा तभी पानी स्टोर होगा।मां बोली बेटा ये तो तुमने बहुत ही समझदारी की बात बताई है। सोनू बोला मां ये तो तुम्हारी शिक्षा की देन है मुझे तो तुमने जो सिखाया मैं तो वहीं करता हूं। शिक्षा प्रद बात बताई सोनू ने सभी मिल कर आजसे ही काम करें पानी बचाएं पेड़ लगाएं।
जय हिन्द जय भारत
पुष्पा निर्मल
बेतिया, बिहार 25-03-21)
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