गुल मोहब्बत के तू खिलाए जा
ऐ मेरे यार मुस्कुराए जा
तू लगा कर क़यास बातों के
मेरे एहसास बस चुराए जा
ऐ मेरे यार मुस्कुराए जा
तू लगा कर क़यास बातों के
मेरे एहसास बस चुराए जा
अनकही मोहब्बत शायरी | Mohabbat Shayari Hindi
बेहतरीन मोहब्बत शायरी | Love shayari
168 वें मुशायरे से हासिल मेरी ग़ज़ल-
जश्ने अरुणिमा सक्सेना
काफ़िया- मुस्कुराए "आए" की बन्दीश
रदीफ़-जा
गुल मोहब्बत के तू खिलाए जा
ऐ मेरे यार मुस्कुराए जा
तू लगा कर क़यास बातों के
मेरे एहसास बस चुराए जा
दिल पे जो गुज़रे वो गुज़रने दे
तू के तीरे नज़र चलाए जा
पाँव तेरे भले ज़मीं पे रहें
हक़ फ़लक पर मगर जताए जा
छोड़ कर फ़िक्र इस ज़माने की
एक दूजे में बस समाए जा
छीन कर सारा चैन दिल का मेरे
नींद आँखों की तू उड़ाए जा
मेरे ग़ुलशन का तू निगेहबाँ है
ख़ार उगा या के गुल उगाए जा
ऐ मेरी जां न हो परेशां तू
मैं हूँ तेरी यक़ीन लाए जा
मेरे ख़्वाबों के आसमानों पर
शम्स बन कर के जगमगाए जा
"नाज़" खुलने का ग़म न कर हर गिज़
राज़े-दिल अपने सब बताए जा
ममता गुप्ता "नाज़"
जश्ने अरुणिमा सक्सेना
काफ़िया- मुस्कुराए "आए" की बन्दीश
रदीफ़-जा
पहली मोहब्बत की शायरी
ग़ज़लगुल मोहब्बत के तू खिलाए जा
ऐ मेरे यार मुस्कुराए जा
तू लगा कर क़यास बातों के
मेरे एहसास बस चुराए जा
दिल पे जो गुज़रे वो गुज़रने दे
तू के तीरे नज़र चलाए जा
पाँव तेरे भले ज़मीं पे रहें
हक़ फ़लक पर मगर जताए जा
छोड़ कर फ़िक्र इस ज़माने की
एक दूजे में बस समाए जा
छीन कर सारा चैन दिल का मेरे
नींद आँखों की तू उड़ाए जा
मेरे ग़ुलशन का तू निगेहबाँ है
ख़ार उगा या के गुल उगाए जा
ऐ मेरी जां न हो परेशां तू
मैं हूँ तेरी यक़ीन लाए जा
मेरे ख़्वाबों के आसमानों पर
शम्स बन कर के जगमगाए जा
"नाज़" खुलने का ग़म न कर हर गिज़
राज़े-दिल अपने सब बताए जा
ममता गुप्ता "नाज़"
0 टिप्पणियाँ