Hindi Naat-e-Pak नात ए पाक हिंदी में
नाते पाक Naat-e-Pak
दीन ए ह़क़ हमको सिखाया आपने।
रब है वाहिद ये बताया आपने।
रब है वाहिद ये बताया आपने।
बुत परस्ती को मिटाया आपने।
का़बे को काबा बनाया आपने।
प्यार से बोले ये अब्दुल मुत्तलिब।
नूर से घर जगमगाया आपने।
इक इशारे में पलट आया मिहर।
मौज्ज़ा ऐसा दिखाया आपने।
रब्बे हब्ली उम्मती इस वास्ते।
रंज ओ ग़म कितना उठाया आपने।
मौज्ज़ा ये भी तो कोई कम नहीं।
कलमा कंंकर को पढ़ाया आपने।
मुश्किलें आसान इस दिल की हुईं।
अपने दर पर जब बुलाया आपने।
सर को सजदे मे झुकाओ मोमिनो।
बस यही अफ़ज़ल बताया आपने।
ज़ुल्मतों मे कुफ्र की आक़ा मिरे।
दीन का डंका बजाया आपने।
सबसे ज़्यादा किसका हक़ है दोस्तो।
हक़ पड़ौसी का बताया आपने।
बेटी को कहते थे ल़ानत लोग जब।
बेटी को रह़मत बताया आपने।
आप को पैग़ामे हक़ जो भी मिला।
बस वही सबको सुनाया आपने।
प्यारे बच्चों के लिए जन्नत फराज़।
माँ के क़दमों को बताया आपने।
सरफराज़ हुसैन फराज़ पीपलसाना मुरादाबाद यू.पी.
Hindi Naat हिंदी नाते पाक
नात ए पाक
मेरी साँसों में ख़ुश्बू सी बसी है।
ज़ुबाँ पर जब से मिदह़त आपकी है।
ज़ुबाँ पर जब से मिदह़त आपकी है।
जिधर देखो उधर ही रौशनी है।
मदीने में ग़ज़ब की दिलकशी है।
नज़र में जब से तैबा की गली है।
लबों पर मेरे बस नात ए नबी है।
बुला लीजे मदीने में हमें अब।
जबीं अब आप का दर चाहती है।
डरें क्यों रोज़े मेहशर से भला हम।
मयस्सर जब के उनकी रहबरी है।
उन्हीं का नूर है आँखों में मेरी।
उन्हीं की याद मेरी बन्दगी है।
नबी का नाम लेवा है यहाँ जो।
फ़राज़ उसको ही ह़ासिल हर ख़ुशी है।
सरफ़राज़ 'हुसैन 'फ़राज़' मुरादाबाद।
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