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ख़ुदा ने हमें माफ़ी का एक मौक़ा दिया है | Khuda Ne Hamen mafi ka ek mauka diya hai

गुनाहों से माफी का मौका बुराई से तौबा कर अच्छाई की ओर चलिए

ख़ुदा ने हमें माफ़ी का एक मौक़ा दिया है | Khuda Ne Hamen mafi ka ek mauka diya hai
जन्नत का रास्ता कैसे तलाश करें

सब ठाट पडा रह जाएगा जब लाद चलेगा बंजारा

Let Your Heart Trust Allah Alone To Take Care Of The Things You Cannot Understand

"ख़ुदा ने हमें माफ़ी का एक मौक़ा दिया है"
आँखें खोली मगर ये पर्दा न खुला
सब हम पे खुला ये हाले दुनिया न खुला
दरिया तफक्कुर में रहे बरसों ग़रक़
मानिंद हुबाब ये मुअम्मा न खुला

दुनियाँ फ़ानी है, न कोई हमेशा रहा है न ही रहेगा,हम भेजे गए हैं

सारी कायनात की तक़लीक़ अल्लाह ने की है,हर बशर व शजर,वो ही क़ादिर है हर शय पर,बेगैर उसकी रज़ा से एक पत्ता भी दम नहीं मार सकता है।
हमें अपने ऊपर दुनिया नही हावी होने देनी चाहिए,सारी बुराई की जड़ यही है,हम एक दूसरे से हसद व जलन करते हैं,किसी की ख़ुशी देखी नहीं जा सकती है,एक दूसरे की चुग़ली करते हैं,बहुत सारी बुराईयों में मुलव्विस हैं और भी न जाने कितने गुनाह करते हैं।

अनगिनत गुनाहों में शामिल हैं,अल्लाह ने हमारे लिए एक हथियार भेजा है वो तौबा अस्गफा़र है,माफी़ का है

क्या हम सभी इन चीजो़ंं को अपनाते है? हम बड़ी कोताही करते हैं, अल्लाह के आख़िरी नबी करीम सल्लाहो अलैहे वसल्लम के बताये हुए रास्ते पर चलने की कोशिश करें तो कोई मुश्किले दरपेश ही नहीं आयेगी।

ऐ ज़ौक़े तसव्वर क्या कीजिए हम सुरते जाना भूल गए

सबका तो मदावा कर डाला,अपना ही मदावा कर न सके

"ऐसा महसूस होता है की सारी दुनिया में तबाही व अलमनाकी का आलम छाया हुआ है वो हम सभी के गुनाह कबीरा है"
हम अपने को मोमिन कहते हैं लेकिन अंदर से तवह़हुमात परस्ती के शैदाई हैं हर बात पर शिर्क व बिदत करते हैं।
अल्लाह व अल्लाह के रसूल के बताये रास्ते पर चलने के बजाय दूसरों की पैरवी करते हैं और अब इससे बड़ा गुनाह क्या होगा?
 अब भी वक़्त है अल्लाह से माफ़ी मांग लें, अल्लाह पाक सब माफ करने वाला है हमें बचना चाहिए दूसरों की हक़ तलफी़ से ,झूठ से,चोरी व बेईमानी से, हराम व सूद से।

इंसानियत व मसावात को लोगों तक फैलाना चाहिए,इमान के रास्ते को बरक़रार रखना चाहिए

जिससे अल्लाह राज़ी रहे वो काम को करना चाहिए।

ख़ुदा ने हमें माफ़ी का एक मौक़ा दिया है हमें माफ़ी मांगनी चाहिए कभी किसी का दिल नहीं दुखाना चाहिए,अपने किरदार को बलंद व बाला रखना चाहिए,तालिम हासिल करना चाहिए और इल्मी सलाहियत को मैयार बक़्श बनाना चाहिए।

पस्त किरदारऔर बे ईल्म क़ौम में गिरावट पैदा कर देती है

इन बातों से तौबा करें और अल्लाह की बारगाह में ग्रिया आहो ज़ारी करें,वो माफ़ करने वाला मुसब्बुलअसबाब है।
खुदा ने हमें माफ़ी का एक मौक़ा दिया है अपनी गलतियों की तलाफी कर लें,हमारी माफ़ी से दुनिया व आख़िरत संवर जाए।
"सब ठाट पडा रह जाएगा जब लाद चलेगा बंजारा"
ख़त्मशूद
डाॅ.नूर फ़ात्मा
मुगलसराय-वाराणसी

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